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चार- नौकां वै भजते

  नौकां वै भजते तावत्यावत्पारं न गच्छति। उत्तीर्णे तु नदी पारं नौकायां किं प्रयोजनम्।। (सुभाषितम्)    जब तक नदी पार नहीं कर लेते तब तक ही नाव का सहारा लेते हैं, नदी पार करने के उपरांत नाव से कोई भी प्रयोजन नहीं रहता है। तात्पर्य यह है कि सामान्यतः कार्य पूर्ण होने तक ही आपका महत्व रहता है कार्य पूरा होने के बाद लोग आपको बेकार समझकर आपसे अलग हो जाते हैं।

तीन- विद्या वितर्को विज्ञानं

दो - इन्द्र्याणि च संयम्य

एक : न धैर्येण बिना लक्ष्मीः

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