मोदी जी (ललित) और मोदी जी (प्रधानमंत्री)


ये फ़ितना आदमी की ख़ानावीरानी को क्या कम है

हुये तुम दोस्त जिसके दुश्मन उसका आसमां क्यों हो

ये लाइनें अब मोदी जी (ललित) के लिए उनके दोस्तों की जुबान पर होगा आजकल। पहले सुषमा स्वराज फिर वसुंधरा राजे । वहाँ मोदी जी वैकेशन पे वैकेशन  मारे जा रहे हैं । उनकी जिंदगी एक लंबी छुट्टी की तरह है। सैर कर दुनिया की गाफिल ज़िंदगानी फिर कहाँ ।
छुट्टियों के अपने अलग अंदाज हैं। पत्नी का इलाज हो तो एक देश में, इंटरव्यू देना हो तो दूसरे देश में । किसी पुराने दोस्त से मिलना हो तो किसी और देश में , बदनाम होना हो तो किसी और देश में । सोते किसी और देश में होंगे उठते किसी और देश में । बाथरूम किसी देश में जाते होंगे तो चाय किसी देश में ।
सच्चे अर्थों में अंतर्राष्ट्रीय नागरिक !
लगता है हमारे मोदी  जी (प्रधानमंत्री)ने मोदी जी(ललित) से काफी कुछ सीखा होगा । वैसे भी मोदी मोदी से नहीं सीखेगा तो क्या वाजपेयी से सीखेगा?
मोदी जी (प्रधानमंत्री) भी तो सच्चे अंतराष्ट्रीय नागरिक लगते हैं । उनके पाँव ही नहीं आँख, नाक, कान, उंगलिया (ट्वीट करने के लिए ) और मोबाइल सीमा के बाहर ही रहते हैं।
दूरदृष्टि वाले नेता हैं सीमा के अंदर  दिखाई ही नहीं देता
देश को एक और प्रधानमंत्री चुन लेना चाहिए था । मोदी जी (प्रधानमंत्री) देश के बाहर के प्रधानमंत्री होते और दूसरा वाला देश के अंदर का प्रधानमंत्री होता।
दोनों मोदियों (प्रधानमंत्री और ललित ) की विवादों में काफी रुचि है। कभी कभी ऐसा लगता है कि विवाद न हों तो इन बेचारों के जीवन में होगा क्या। बेचारे मोदी जी (ललित) को लोगबाग भूल चुके थे ये विवाद ही तो थे जो उन्हे वापस ले आए लाईमलाइट में। अपने मोदी जी (प्रधानमंत्री) जी भी गुजरात के मुख्यमंत्री कैसे बनते अगर गुजरात भूकंप में केशुभाई की छीछालेदार न होती।
लोग तो यह भी कहते हैं कि उनके मुख्यमंत्री बने रहने में गोधरा कांड, फर्जी(अब असली) एंकाउंटरों ,राज्यबदर सहयोगियों का भी हाथ रहा है ।
अब देखिये न समय समय पर होने वाले विवाद लोगों को याद दिलाते रहते हैं कि कैसे देश के कुछ नासमझ (कोई 69%) कैसे मोदी जी (प्रधानमंत्री) को अभी भी पसंद नहीं करते ।
खैर हमे पता है कि मोदी जी (ललित) इस मुद्दे पर चाहे जितना बोल लें पर मोदी जी (प्रधानमंत्री) बिलकुल नहीं बोलेंगे ।
खैर छोड़िए आपलोग राहुल गांधी पर चुट्कुले बनाइये ।

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